कोरोना का खौफ: अस्पतालों में कागजी हैं इंतजाम, खतरे में डॉक्टर और मरीज
कोरोना से निपटने के लिए भले ही तमाम इंतजामों के दावे किए जा रहे हों मगर हकीकत इससे जुदा है। स्वास्थ्य महकमा डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ को न्यूनतम संसाधन नहीं मुहैया करा पा रहा है। कर्मचारी बगैर मास्क के मरीजों को दवाएं बांट रहे हैं। महिला अस्पताल में तो डॉक्टरों को मास्क तक मुहैया नहीं कराया गया है। सीएमओ कार्यालय में भी कहीं लिक्विड सोप या फिर साबुन नहीं है। मंगलवार को इसकी पड़ताल की गई।
जिला अस्पताल- ओपीडी
समय- 11:20 बजे
अस्पताल में मंगलवार को मरीजों की भारी भीड़ रही। मंगलवार को करीब 2100 मरीज पहुंचे। सबसे ज्यादा सर्दी-जुकाम व बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें कोरोना के खौफ से पीड़ित मरीज भी शामिल है। यह सर्जरी, आर्थो और स्किन के मरीजों के साथ ही ओपीडी में मौजूद रहे। मरीजों के बीच तीन फिट की दूरी होने का नियम भी हवाई हो गया है। मरीज एक के उपर एक चढ़े हुए हैं। दवा काउंटर पर मौजूद पांच फार्मासिस्टों को मास्क तक नहीं मिला है। वह रोजाना करीब डेढ़ हजार मरीजों को दवा दे रहे हैं। वह हर प्रकार के मरीजों के संपर्क में है। दवा काउंटर पर सैनेटाइजर भी नहीं है।
जिला अस्पताल- आरडीसी
समय-11: 40 बजे
बीमार मरीजों का यहां जांच होता है। भूतल पर एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन होता है। पहले मंजिल पर पैथोलॉजी की जांचें होती है। मंगलवार को यहां 350 मरीजों की जांचें हुई। जांच के मरीजों की लंबी कतार लगी रही। खून, पेशाब की जांच के लिए मरीज घंटों कतार में रहे। यहां पर मरीजों के हाथ धुलने के कोई इंतजाम नहीं मिले। खांसते, छीकते और बुखार में तपते मरीज सैम्पल देने के लिए कतार में खड़े रहे। यहां पर वॉशरूम में साबुन तक मयस्सर नहीं है।
महिला अस्पताल-ओपीडी
समय- दोपहर 12:10 बजे
अस्पताल में सुबह से ही महिलाओं व बच्चों की भारी भीड़ रही। पुरानी व नई ओपीडी में मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टर मौजूद रहे। महिलाओं के साथ बच्चे भी रहे। ओपीडी में 600 महिलाएं और 156 बच्चों का इलाज हुआ। अस्पताल में मौजूद बालरोग विशेषज्ञ डॉ. जय कुमार भी बगैर मास्क के ही बच्चों का इलाज करते दिखे। टीकाकरण सेंटर पर मौजूद कर्मचारियों को मास्क नहीं मिला है। सैनेटाइजर का खत्म हो चुका है। कर्मचारियों ने बताया कि इसके लिए अधिकारियों को बताया गया है। अस्पताल के फार्मासिस्ट व नर्स भी मास्क के लिए परेशान दिखे।
सीएमओ कार्यालय
समय-दोपहर 12:30 बजे
जिले में कोरोना से जंग के लिए नोडल सेंटर बने सीएमओ कार्यालय में ही सफाई के मानक हाशिए पर हैं। महिला अस्पताल के सामने बने नए सीएमओ ऑफिस में वॉशरूम ही बदहाल है। तीन मंजिला आफिस में चार एडिशनल सीएमओ बैठते हैं। जिला मलेरिया अधिकारी का भी दफ्तर है। करीब 100 कर्मचारी तैनात हैं। इसके बावजूद यहां हाथ धोने के लिए कर्मचारियों को साबुन मयस्सर नहीं है। पुराने सीएमओ कार्यालय का भी यही हाल है। यहां तो आला मुखिया ही बैठते हैं। इसके साथ ही 80 कर्मचारी यहां तैनात हैं। यहां कई प्रकार के मरीज फरियाद लेकर पहुंचते हैं। यहां भी कर्मचारियों को हाथ धुलने के इंतजाम नहीं है।
डीडीयू- प्रशासनिक भवन
समय- दोपहर 01.20 बजे
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का मुख्य प्रशासनिक भवन है। यहां कुलपति , रजिस्ट्रार, वित्त नियंत्रक, परीक्षा नियंत्रक समेत वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और 550 कर्मचारी ड्यूटी करते हैं। यहां संविदाकर्मी भी तैनात हैं। इस भवन में हाथ धुलने के लिए साबुन ही नहीं है। रजिस्ट्रार कार्यालय के पास ही पेयजल के लिए चार टैब लगे हैं। तीन की टोटियां गायब हैं। चौथे से ही पानी आता है। बाथरूम में लगे वेशिन में कही साबुन नजर नहीं आया। इसकी तस्दीक कर्मचारी भी कर रहे हैं।